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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 02)

अगले दिन कैम्पस में






"लो यार फिर से स्टार्ट हो गयी बोरिंग ज़िन्दगी! कल डैड आये लेकर गए, तेरी पार्टी हुई और आज हम फिर यहीं हुंह..!" छोटे बच्चे की तरह रूठता हुआ अमन वही बैठ जाता है।




"हाँ तुम्हें इसके अलावा कुछ आता भी है, सुधर जा वरना बच्चे तुझसे मुँह फुलाने की ट्रेनिंग लेने आया करेंगे।" विस्तार उसके बगल में बैठकर चिढ़ाते हुए बोला।




"नही विस्तार! अब क्या है न मैं तेरी तरह किसी का विस्तार नही करता।" अमन वहां से उठकर भागते हुए बोला।




"अबे तेरी तो..!" विस्तार उसके पीछे भागा।




"अच्छा बड़े भाई! बता दे फिर तू जो कहेगा करूँगा।" अमन अपने दोनों कान पकड़कर बोला।




"किसी का नही! एक्चुअली अंकल को नही पता कि मेरा नाम क्या था पर शायद उनके हिसाब से यह नाम सही लगा।" विस्तार गंभीर हो गया। "और उन्होंने ऐसा नाम रखा कि उनका बेटा रोज एक ही बोरिंग सा मजाक कर सके।" अब रूठने की बारी विस्तार की थी।




"तो क्या बस मैं ही उनका बेटा हूँ? उन्होंने भले ही ये बता दिया कि वो तुम्हारे पिता नही हैं परंतु हम दोनों में कभी कोई फर्क किया क्या?" अमन रुवांसे स्वर में कातर दृष्टि से बोलता है।




"अबे चल चल अब सेंटी मत मार! मैं रोज रोज बताता हूँ कि किसी का विस्तार नही किया फिर भी रोज यही सेंटिमेंटल झेलना है मुझे।" अमन को उठाते हुए विस्तार ताना देता है।




"तो मेरा विस्तार मतलब प्रचार सॉरी यार मतलब कल्याण कर दे।" अमन बनावटी मुँह बनाते हुए कहता है।




"बोल यार अब इस बार क्या करूँ!" विस्तार थोड़ा अकड़ू होता हुआ बोला। "अब किसकी हड्डिया तोड़नी है।"




"अरे किसी की नही..!" अमन विस्तार का हाथ अपने सिर पर रखते हुए बोला।




"तो?" विस्तार ने आंखे बड़ी की।




"मैंने कुछ दोस्तों के साथ एक ट्रिप प्लान की है, पर अब ये बात पापा से कौन बोले।" कहते हुए अमन अपना सिर झुका लिया।




"ओ अच्छा तो ये बात है, वो मैं कर दूंगा पर ये बता जाना कहाँ है?" विस्तार पूछता है।




"सुंदरवन!" अमन बताता है।




"अच्छा आमी, तो मैं चल रहा हूँ या नही?" विस्तार पूछता है।




"अबे विस्! जहाँ तू नही वहाँ मैं भी नही, अपन दो जिस्म एक जान है।" अमन हंसकर बोला, जिसका अर्थ स्पष्ट था कि विस्तार को भी चलना है।




"अबे ऐसे मत बोल वरना लवर्स जल भून जाएंगे।" विस्तार हंसते हुए बोला।




"हाहाहा…!!" दोनों एक दूसरे के हाथों पर ताली मारते हुए हँसते हैं।




"प्लान कब का है?" विस्तार पूछा।




"नेक्स्ट वीक!" अमन बोला।




"नही! अभी तो ब्रह्मपुत्र में बाढ़ होगी, सुंदरवन को अच्छे से नही घूम पाएंगे, कम से कम एक मंथ और वैट करना ही होगा, तब तक मैं भी अंकल को मना ही लूंगा।" विस्तार उसकी तरफ देखकर बोलता है।




"ठीक है भाई! जैसी आपकी आज्ञा।" कहते हुए अमन खुस्स से हँस दिया।




■■■






सुंदरवन!




"भारत के राज्य पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरवन 54 छोटे द्वीपों का समूह है। यह वन सुंदरी (मैंग्रोव) वृक्ष एवं बंगाल टाइगर जैसे जीवों के साथ कई रहस्यों का घर है। दुनिया सिर्फ उसे उतना ही जानती है जितना की किसी पुस्तक के मुख्य पेज को पढ़कर पुस्तक के बारे में पता चलता है। यहां का डेल्टा विश्वप्रसिद्ध है जो गंगा-ब्रह्मपुत्र और कई सहायक नदियों से मिलकर बना है। यहां का रहस्यमयी संगीत आजतक किसी को समझ नही आया है इस जंगल के अंदर तक जो भी गया कभी जीवित नही लौटा। कहते हैं कि वहां सैकड़ो लोग आदमखोर बाघों के शिकार बन गए पर आज भी लोग शहद बटोरने, मछली पकड़ने और शिकार करने जाते हैं परंतु ये लोग कब काल का शिकार बन जाएंगे ये उन्हें एहसास तक भी नही होता। जंगल में बाघों से सुरक्षा के लिए झंडे लगाए गए हैं जिसे झामती कहते है जिसका अर्थ है वह क्षेत्र खतरे से खाली नही है।




यहां की दलदली मिट्टी निगल जाने को आतुर रहती है, उत्तर से दक्षिण में बढ़ने पर जंगल और घना होता जाता है, चारो तरफ मैंग्रोव (सुंदरी), देवा, केवड़ा, तर्मजा, आमलोपी, गोरान के वृक्ष आपस में इस प्रकार सटे हुए हैं कि सतह पर धूप की किरणें भी नही आती, यह इस जंगल को और खतरनाक बनाती है, सुंदरवन का नाम जितना सुंदर है असल में यह उतना ही डरावना और भयानक है। यहां सावधानी से रहना और केवल घूमने योग्य स्थलों से लौट आने में ही समझदारी है।"




"जब बस खेती-किसानी या नदियों का पानी ही देखना होता तो हम यहां क्यों आते?" अमन उस व्यक्ति की ओर मुखातिब होकर बोलता है।




"यह जंगल बहुत ही खतरनाक है सर! हम गाइड्स भी बस यही तक जा सकते हैं, आपके पिता के दरख्वास्त पर मुझे और मेरी टीम को स्पेशली आप लोगो की सुरक्षा के लिए भेजा गया है।" वह व्यक्ति बोला जो अब तक उन्हें सुंदरवन के बारे में बता रहा था। उसकी पोशाक पेड़ो के पत्तियों जैसी सुर्ख हरा रंग लिए थे, सिर पर कैप, कंधे पर स्ट्रिप्स और सीने पर बड़ा सा बैच लगा हुआ थे जो कि यह दर्शा रहा था कि यह उसकी टीम का लीडर और यहां का फारेस्ट ऑफिसर है। जो अमन और उसके साथियों की सुरक्षा और गाइड के लिए उसके पिता राघव जी ने साथ भेजी है।




"ओह्ह डैड भी न! हमेशा बच्चा बनाकर ही रखना चाहता हैं। अब मैं बड़ा हो गया हूँ यार।" अमन खीझकर बोला। उसके कंधे पर एक टूरिस्ट बैग था जिसमे खाने पीने का कुछ सामान और खोने पर एक दूसरे से सम्पर्क साधने के उपकरण थे, क्योंकि ऐसे स्थान पर फ़ोन का नेटवर्क काम नही करता। सबके कंधे पर ऐसा ही बैग था। गार्ड्स के पास बड़े बैग्स की ट्रॉली थी।




"बच्चे कितने भी बड़े हो जाये, माँ-बाप के लिए हमेशा बच्चे ही रहते हैं।" एक लड़की बोलती है, उसके लहज़े से वह अमन की दोस्त प्रतीत होती थी।




"यार शिल्पी, मेरे पास मेरा मूड खपाने के लिए एक ऑलरेडी है अब तू भी यही काम मत कर।" अमन घूरते हुए बोला। यह सुनते ही विस्तार और बाकी के सब जोर जोर से हँसने लगे, उनको देख अमन झेंप गया और वह भी हँसने लगा।




"उसी के जैसे तो बनने की कोशिश कर रही हूँ।" शिल्पी अपने बैग की स्ट्रिप्स खींचते हुए बोली।




"लो जिस बन्दे से सब दूर भागते हैं इसको उनके जैसा बनना है।" एक दूसरी लड़की शिल्पी को छेड़ते हुए बोलती है, शिल्पी उसके पीछे भागती है। अमन के साथ इस ट्रिप पर सात लोग आए थे जो अपने-अपने काम में बेस्ट और अमन के दोस्त थे।




"तू उसको तंग मत कर शिवि।" एक दूसरा लड़का बोला, वह भी भरे-पूरे बदन का था, देखने मे आकर्षक पर कपड़ो से विस्तार की भांति साधारण पहनावे में था।




"अरे यार जय अब तुझे क्यों तकलीफ हो रही!" शिवि जय की ओर आते हुए बोलती है, जय अपने ठोड़ी को दोनों हाथ से पकड़कर उसे निहारे जा रहा था।




"यार केशव देख लो आप इनका प्रेम-प्रपंच फिर से शुरू हो गया।" एक लड़का दूसरे लड़के से चुटकियां लेता हुआ बोला।




"छोड़िये न अमित जी! क्या पता इधर सुंदरवन में हमको भी कोई सुंदर कन्या मिल जाये।" केशव भी चुटकी लेता है।




"अच्छा मजाक करते हैं आप भी, यह सुंदर वन मिलेगा कन्या नही।" अमित चिढ़ाता है। इनकी बातें सुनकर सब हँसने लगते हैं।




"गाइज़!  ये देखिए सुंदरवन का खूबसूरत नजारा।" शिल्पी कूदते हुए अपने दोस्तों को चिल्लाकर अपने पीछे देखने का इशारा करती है। सुंदरवन! वाकई यह कल्पना से भी सुंदर है, इतना सुंदर की शायद कोई कवि भी अपने कलम से इसकी सुंदरता का बखान न कर सके।




"ओ माय गॉड! ईट्स ब्यूटीफुल!" शिवि अपना बैग उतारकर जोर से चिल्लाती है। किसी के भी खुशी की कोई सीमा नही रह जाती।




"जरा धीरे बोलिये नही तो आँसू जी के आँसू निकल जाएंगे। अब तक देवी जी कुछ नही बोली हैं, कौनो सदमा लगा है क्या?" अमित अपने मुँह पर उंगली रखकर शिवि को चुप होने का इशारा करता है, उसकी बात सुनकर फिर सब हँस देते हैं।




"यह प्रकृति का अनुपम दृश्य देख लेने दो अमित! कभी कभी बिन बोले भी सब सुनने की कोशिश करना चाहिए। यहां की शाम कितनी सुहानी होगी!" आँसू अपने बांहे फैलाते हुए बोली।




"यार अमित हमको तो बिन बोले सुनना नही आता तुम ट्राय करना।" केशव हँसा।




"शाम होने ही वाली है, ऑफिसर क्या हम शाम को यह ठहर सकते हैं?" अमन इंस्पेक्टर से पूछता है।




"नही! शाम को यहां खतरा है।" फारेस्ट ऑफिसर समझाने के स्वर में बोला।




"तो आप लोग किसलिए हैं! हम यहीं ठहरेंगे। आप जाकर परमिशन लाइये।" अमन कड़क स्वर में बोला।




"जी ठीक है।" ऑफिसर का स्वर रूखा हो गया।




"अमन! बड़ो से थोड़ी रेस्पेक्ट से बात किया करो।" विस्तार, फारेस्ट ऑफिसर के रूखेपन को देखकर बोला।




"सॉरी! पर हम यही टेंट लगाकर रहेंगे और कल और आगे बढ़ेंगे। हम घूमने आए हैं इसलिए हम तो घूमेंगे ही।" अमन बोलता है।




फारेस्ट गार्ड्स टेंट की व्यवस्था करने लगते हैं। शाम होने को थी धीरे-धीरे सूर्य पर लाली छाने लगी, नीचे जल में सूर्य का प्रतिबिंब अतिसुहावन लग रहा था, धीरे-धीरे सूर्य पूर्ण रूप से डूब गया आसमान पहले हल्का पीला फिर गुलाबी और थोड़ी ही देर में नीला हो गया अब आकाश में तारे भी निकलने लगे थे। सभी दोस्त प्रकृति की इस रहस्यमयी अनुपम सुंदरता को निहारे जा रहे थे। शिल्पी, विस्तार के कंधे पर अपना सिर रखती है पर अचानक उसके मन में भय आता है वह अपना सिर हटा लेती है।




"कोई बात नही! तुम रख सकती हो।" विस्तार धीमे स्वर में बोला।




'जब से तुम्हें देखा है तब से तुम्हें चाहा है। तुम्हारा हाव-भाव, व्यवहार, सरलता, सरसता और ये मधुरता हर किसी को दीवाना बना देती है। मैं अमन की दोस्त सिर्फ इसलिए बनी ताकि तुम्हें पा सकूँ, अमन के साथ ट्रिप पर आने को राजी हुई क्योंकि मुझे पता है तुम्हारे बिन अमन कही नही जा सकता। इस मौके को मैं खाली हाथ नही जाने दूंगी। तुम वो हो विस् जिसको मैंने हर एक पल में चाहा है। खुद से भी ज्यादा…!" विस्तार के कंधे पर सिर रखे मन ही मन सोचती-बुदबुदाती हुई शिल्पी की आंख गई उसे पता ही न चला। वह लुढ़कने वाली थी पर विस्तार ने उसे सम्भाल लिया। यह देखकर केशव भी अमित के कंधे पर सोने की एक्टिंग करता है।




"दोस्तों! गाइज़! चलो कुछ खा पी लो और रेस्ट करो ताकि कल सुबह ही हम यहां से निकल सकें।" जय और शिवि एक साथ एक स्वर में सबको बुलाते हुए चिल्लाये।




"तुमने मेरा कॉपी क्यों किया?" जय मुँह फुलाकर शिवि की तरफ बढ़ता हुआ बोला।




"ओये मिस्टर! लड़की मैं हूँ रूठना इनको आ रहा। सच है भलाई का जमाना ही नही रहा।" शिवि भी रूठने के स्वर में बोलती है।




यह सुनकर शिल्पी भी जाग गयी। सब आ गए साथ साथ बैठकर भोजन करने लगे। फिर सभी अपने अपने टेंट में चले जाते हैं। सभी सिपाही भी उनके आस-पास घेरे में टेंट बनाकर वहीं रुक गए थे। अब खुले आसमान में चाँद चमकते तारे और कुछ टेंट नजर आ रहे थे जो इस घने वन के एक छोर पर पहाड़ की चोटी पर बने समतल में बने हुए थे। सब सो रहे थे क्योंकि सिर्फ रात जग रही थी, वैसे भी सुंदरवन का यह क्षेत्र बिल्कुल सुरक्षित था यहां आसपास को झमाती नही गाड़ा गया था जिससे स्पष्ठ था कि यह क्षेत्र आदमखोर बाघों से मुक्त था।








क्रमशः…...  

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12 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 10:05 PM

Well penned

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thank you

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Farhat

25-Nov-2021 06:28 PM

Good

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dhanyawad

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Barsha🖤👑

25-Nov-2021 06:09 PM

बहुत रोचकता समेटी कहानी

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thank you

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